हिंदू धर्म में चार पुरुषार्थ बल दिया है धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष । आज हम दीपज्योतिष ब्लॉग पर ज्योतिष के परिपेक्ष्य में इनके बारे में जानने की एक कोशिश करेगे। अगर आपको यह ब्लॉग पसंद आया तो लाइक, शेयर और कमेंट कीजिए। हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर कीजिए ताकि आपको आने वाली पोस्ट समय से मिले। पुरुषार्थ :– पुरुषार्थ का अर्थ होता है लक्ष्य या उद्देश्य , हिंदू धर्म में मानव जीवन को चार पुरुषार्थ में बांटा गया है और प्रत्येक मनुष्य का अंतिम पुरुषार्थ मोक्ष प्राप्त करना है। धर्म :– धर्म का साधारण अर्थ होता है धारण करना। ज्योतिष में यह 1, 5 , 9 भावो से लेते है। धर्म का पोषण ज्ञान, यम, नियम, संयम इत्यादि से होता है 1 :– शरीर , 5 :– रचना, संतान 9 :– नियम, कानून देखा जाए तो तीनो ही भाव ज्ञान से संबंधित है इसलिए पहला पुरुषार्थ धर्म है यानी ज्ञान एकत्रित करना। अर्थ :– अर्थ का साधारण अर्थ होता है जीवन जीने का साधन, रिसोर्सेज, जो कि ज्योतिष में हम 2, 6, 10 से देखते है 2 :– धन, भोजन, दृष्टि 6 :– नौकरी, प्रतिस्पर्धा 10 :– कर्म ...
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