केंद्रधिपति दोष :–
सौम्य ग्रह अगर केंद्र के स्वामी हुए तो अपनी शुभता छोड़ देते है ( अशुभ फल दे जरूरी नहीं) , क्रूर ग्रह केंद्र के स्वामी होने पर अपनी अशुभता छोड़ देते है।
सौम्य ग्रह :– गुरु, शुक्र, शुक्ल पक्ष का चंद्र और सौम्य ग्रह के साथ स्थित बुध
क्रूर ग्रह :– सूर्य, मंगल , शनि , कृष्ण पक्ष का चंद्र और क्रूर ग्रह के साथ स्थित बुध
जब सौम्य ग्रह अपनी शुभता न दे तो वह दोष का निर्माण करता है,
केवल गुरु और बुध ऐसे ग्रह है जो एक ही समय में दो केंद्र भावो के स्वामी होगे इसलिए इन्हे केन्द्राधिपति दोष लगता है, ( मिथुन, कन्या, धनु, मीन लग्न में)
नोट :– बुध अगर क्रूर ग्रह के साथ हुआ तब मेरे विचार में केन्द्राधिपति दोष में नहीं आएगा क्योंकि तब वह क्रूर होगा।
जी लगता है बुध को भी। ये दोनों ग्रह न्यूटल हो जाते हैं दो दो केंद्र के स्वामी होकर फिर जिस भाव में जिन ग्रहों के साथ होंगे और जिनकी दृष्टि में होंगे ल
ReplyDeleteवैसा फल देंगे।
पाराशरी अनुसार यही बात द्वि द्वादश भाव के स्वामी के साथ भी होता है। ये उदासीन भाव कहे जाते हैं भ
मतलब ये जहां बैठेंगे जिस स्थिति में होंगे वैसा फल देंगे?
जी, आपने अपने बहुमूल्य विचार दिए उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद,
Deleteबुध की बात करे तो जरूर वह न्यूट्रल होगा, लेकिन अगर वह पहले से ही क्रूर बना बैठा है तो क्या वह अपनी क्रूरता नहीं छोड़ेगा?
🙏🙏
ReplyDelete@Ambika जी सादर धन्यवाद
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