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ज्योतिष में चतुर्थ भाव, Fourth House in Astrology in Hindi

 चर्तुथ भाव सुख भाव भी कहलाता है, ऐसा कोई भी कारकत्व जिससे सुख मिले वह सब चतुर्थ भाव से लेगे। माता , मां की ममता, मां का सुख, इत्यादि चतुर्थ भाव से देखेगे मातृभूमि, जन्मभूमि, जमीन, वाहन , बंधु इत्यादि चतुर्थ भाव से देखेगे। नोट यात्रा का भाव तीसरा है उससे दूसरे भाव में होने के कारण यह यात्रा के साधन अर्थात वाहन का भाव भी है।  इसके कारक ग्रह चंद्र है इसमें गुरु उच्च का और मंगल नीच का होता है।  यदि चौथे भाव के शुभ परिणाम प्राप्त करने हो तो मां की सेवा कर लीजिए बुजुर्गो का सम्मान, आशीर्वाद और उनकी सलाह लेकर काम कीजिए धर्म पालन और दयालुता मन में रखे।
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ज्योतिष में तीसरा भाव

 ॐ गुरुवे नमः पहले भाव में जन्म मिला तो दूसरे भाव में हमे जीवन जीने का साधन मिला, तीसरे भाव में हमे निम्न कारक मिले खेलने के लिए छोटे भाई बहन हमारा ध्यान रखने के लिए नौकर शरीर के अंगों में हाथ, गला इत्यादि अपनी बात रखनी शुरू की, समझानी शुरू की यानी कम्युनिकेशन हमारी परफॉर्मेंस और प्रेजेंटेशन जो हमे सर्विस मिली वह भी यही भाव फ्री विल, साहस और पराक्रम भी यही भाव है। नैसर्गिक कुंडली में इसकी राशि मिथुन है जिसका स्वामी बुध है। कारक ग्रह मंगल है।   तो जीवन में सफलता पानी हो तो कर लो इस भाव को मजबूत। एक मंत्र है इस भाव का जिसे रखो हमेशा याद "करत करत अभ्यास ते जड़मत होत सुजान  रस्सी आवत जात ते सिल पर परत निशान" उर्दू में एक कहावत है जो कि इस भाव पर सबसे सही बैठती है " हिम्मत ए मर्द, मदद ए खुदा" अर्थात जो इंसान खुद हिम्मत करता है ईश्वर भी उसी की मदद करता है।  देखो यदि कोई खुद पर भरोसा रखने वाला तो समझो उसका तीसरा भाव अच्छा है। अगर किसी की कम्युनिकेशन स्किल अच्छी है तो समझ लो तीसरा भाव अच्छा है। यदि करना है तीसरा भाव अच्छा तो कर लो खुद पर विश्वास , प्रयास। मंगल भाई , बुध...

ज्योतिष में दूसरा भाव second house

 ॐ नमः शिवाय नमस्कार दोस्तों,        आज बात करते है दूसरा भाव की, दूसरा भाव हमारे रिसोर्सेज है , जीवन जीने के साधन है , भगवान विष्णु श्रृष्टि पालन करता है तो लक्ष्मी उनकी सहयोगी शक्ति है यही लक्ष्मी धन लक्ष्मी, अन्न पूर्णा और परिजनों के रूप में दूसरे भाव में समाहित है यानी दूसरा भाव है  हमारे परिवार का हमारे धन का भोजन का शरीर के अंगों में ज्ञानेंद्रियों का ( आंख, कान, नाक, रसना) का नैसर्गिक राशि वृषभ एक बैल जो कि वाहन है भगवान शिव के, इसके स्वामी शुक्र( देवी लक्ष्मी) है। मां का दूध याद आता है न समय समय पर, हा वही जो शिशु के लिए जरूरी और सेहत के लिए अच्छा भोजन होता है। तो भोजन दूसरे भाव में मां का दूध चंद्र उच्च का होता है न, यही चंद्र कैश फ्लो भी है।  धन के रूप में क्या चाहिए सभी को , सोना न, परिवार में क्या चाहिए वृद्धि और सुख न तो ये सोना और वृद्धि गुरु की है तो यही गुरु दूसरे भाव का कारक बन जाता है। बेसिक शिक्षा जानकारी दूसरे भाव से ही लेगे क्युकी बेसिक ज्ञान न हुआ तो जीना किस काम का तो अगर दिक्कत है कैश फ्लो की तो लो मदद चंद्र यानी मां की, छू लो उ...

ज्योतिष में प्रथम भाव, The First house in astrology

 ॐ गणेशाय नमः आज बात करते है पहले भाव की, जन्म के समय जो भाव राशि पूर्व दिशा में मिली वह पहला भाव कहलाया, जो ग्रह उस दिशा में थे वो पहले भाव में गए हुए माने गए।  पहला भाव उदय भाव है मेनिफेस्ट हुआ बच्चा, नाम पहचान जो भी मिली वो पहले भाव से देखी,  पहली पहचान उसका नाम, दूसरी पहचान उसका रूप, तीसरी पहचान ज्ञान और चौथी पहचान उसके कर्म , हालाकि कर्म का दसवां भाव और ज्ञान का पांचवा भाव माना गया है लेकिन पहले भाव का भी महत्वपूर्ण रोल है।  स्वभाव( personality) प्रकृति भी पहला भाव है। पूरा शरीर भी पहला भाव और शरीर के भागो में सिर भी पहला भाव। इसे लग्न भी कहते है।  लग्न में जो राशि होगी उसके अनुसार हमारा शरीर, पर्सनेलिटी होगी, लग्न में जो ग्रह होगा उसके स्वभाव के अनुसार हमारा स्वभाव होगा, और लग्नेश जिस भाव में होगा उस भाव के गुण हममें होगे, उसी भाव पर हमारी सारी ऊर्जा केंद्रित होगी।  लग्न मैं को दर्शाता है अगर लग्न लग्नेश कमज़ोर हुआ तो बीमारी, अंग भंग और बाल अरिष्ट योग, हो सकते है यदि अन्य योग भी ऐसे हुए तो।  जब भी लग्न लग्नेश की दशा आएगी तब शरीर संबंधी , स्वभाव स...

मंगल 10 भाव कर्क राशि में उपाय

 भगवान कृष्ण जी को सर्वप्रथम नमन। मंगल क्या है एक योद्धा सेनापति देव सेनापति कार्तिकेय, श्री राम सेना के सेनापति हनुमान जी और धर्म युद्ध महायुद्ध महाभारत में धर्म के प्रतिनिधि पांडवो के सेनापति अर्जुन ही मंगल है। कर्क राशि क्या है हमारा घर, चंद्र की राशि अर्थात मन का आधिपत्य , दिल से निर्णय लेना ।  दशम भाव क्या है कर्म क्षेत्र, युद्ध क्षेत्र। एक योद्धा के लिए दिल से निर्णय लेना भारी पड़ जाता है युद्ध क्षेत्र में नीति से निर्णय लिया जाता है इसलिए मंगल कर्क राशि में नीच होते है और दशम भाव में दिग्बली।  एक योद्धा था अर्जुन महान योद्धा लेकिन एक युद्ध महाभारत में जब सगे संबंधियों को युद्ध क्षेत्र में दोनो तरफ देखा तो विषाद हो गया मंगल दशम भाव में दिग्बल तो हो गया लेकिन छटे घर में और अपने से छटे घर दोनो जगह में मित्र ग्रह गुरु की राशि देखकर इमोशनल हो गया और ले बैठा निर्णय युद्ध न करने का , विषाद हो गया । तब श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश देकर गुरु बनकर अर्जुन को राह दिखाई, वैसे युद्ध क्षेत्र मे गुरु का कोई काम नहीं होता इसलिए नैसर्गिक रूप से गुरु दसवीं राशि में नीच होता है लेकिन क...

वैदिक ज्योतिष के अनुसार माननीय प्रधानमंत्री जी की सुरक्षा में चूक के विश्लेषण की एक कोशिश

नमस्कार दोस्तों, मैं दीपज्योतिष एक ब्लॉगर आज आपके सामने वैदिक ज्योतिष के परिप्रेक्ष्य में माननीय प्रधान मंत्री श्री मोदी जी की सुरक्षा में चूक किस ग्रह के कारण हुई ये देखने की कोशिश करते है।     प्रधानमंत्री मोदी जी सत्ता वाहक है इसलिए वह सूर्य ग्रह से संबंधित है। सूर्य शुक्र का कॉम्बिनेशन राजकीय वाहन दर्शाता है और शुक्र का वक्री होना ये दिखाता है कि राजकीय वाहन वापस मुड़ा,  अब इसके पीछे कारण देखते है लेकिन उससे पहले आप सभी को अगर यह पोस्ट पसंद आई तो कमेंट और लाइक द्वारा हौसला अफजाई जरूर करे। 👉 मोदी जी की बठिंडा की यात्रा दिन बुधवार को हुई। 👉 बठिंडा दिल्ली से उत्तर पश्चिम दिशा में है। 👉 बुधवार दिन का स्वामी ग्रह बुध है जो कि उत्तर दिशा का स्वामी है और उस दिन बुध ग्रह शनि के साथ शनि की राशि में था जिस कारण से बुध शनि के एजेंट की तरह कार्य कर रहा था। 👉  सूर्य शनि की दुश्मनी जगजाहिर है और सूर्य से अगले घर में शनि बुध चंद्र की युति शनि के घर में होने से सूर्य को शनि का प्रकोप झेलना पड़ा और जिस कारण सूर्य यानी राजा ( प्रधान मंत्री जी) के रथ ( यात्रा) को न सिर्फ रुकना ...

नव वर्ष 2023

 आप सभी को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं, आज एक कोशिश 2023 के बारे में जानने की, कोई प्रिडिक्शन नहीं 2023=7 अर्थात केतु का वर्ष 7 पूर्णता का प्रतीक है, वैसे तो 9 ग्रह है लेकिन 2 छाया ग्रह को हटा दे तो 7 ही बचते है,  7 महासागर, 7 दिन, 7 स्वर, सप्त ऋषि, इंद्र धनुष के 7 रंग, बाइबिल के 7 चर्च, इस्लाम में श्रृष्टि की रचना के 7 दिन, सात रस, सात धातु  सात लोक, 7 चक्र तो देखे तो 7 की बहुत महत्ता है, जब किसी को नजर लग जाएं तो सात बार ही उतारा करते है, अधिकतर 3 या 7 बार ही मंत्र पढ़ते है,  सबसे फाइन तत्व शुक्र माना गया है, लेकिन केतु इससे भी महीन है, सूर्य के साथ यह ध्वज कीर्ति योग बनाता है तो चंद्र को यह ग्रहण लगाता है, इस बार 7 चंद्र व गुरु के मेल से बना है। यह वर्ष मेरे विचार में भौतिक सुख से ज्यादा आध्यात्मिक यात्रा देना वाला हो सकता है,  इस वर्ष इमोशनल अप डाउन भी ज्यादा देखने को मिल सकता है। अकेलापन, अवसाद, और divorce जैसी समस्या से रूबरू होना पड़ सकता है,  फाइनेंस इतना बुरा नहीं होना चाहिए लेकिन कैश फ्लो की समस्या हो सकती है। उपाय :· केतु अवरोध देता है अर्थात व...

ज्योतिष में पुरुषार्थ

हिंदू धर्म में चार पुरुषार्थ बल दिया है धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष । आज हम  दीपज्योतिष  ब्लॉग पर ज्योतिष के परिपेक्ष्य में इनके बारे में जानने की एक कोशिश करेगे। अगर आपको यह ब्लॉग पसंद आया तो लाइक, शेयर और कमेंट कीजिए। हमारे ब्लॉग को सब्सक्राइब जरूर कीजिए ताकि आपको आने वाली पोस्ट समय से मिले।     पुरुषार्थ  :– पुरुषार्थ का अर्थ होता है लक्ष्य या उद्देश्य , हिंदू धर्म में मानव जीवन को चार पुरुषार्थ में बांटा गया है और प्रत्येक मनुष्य का अंतिम पुरुषार्थ मोक्ष प्राप्त करना है। धर्म  :– धर्म का साधारण अर्थ होता है धारण करना। ज्योतिष में यह 1, 5 , 9 भावो से लेते है। धर्म का पोषण ज्ञान, यम, नियम, संयम इत्यादि से होता है  1 :– शरीर ,  5 :–  रचना, संतान 9 :– नियम, कानून  देखा जाए तो तीनो ही भाव ज्ञान से संबंधित है इसलिए पहला पुरुषार्थ धर्म है यानी ज्ञान एकत्रित करना।   अर्थ :– अर्थ का साधारण अर्थ होता है जीवन जीने का साधन, रिसोर्सेज, जो कि ज्योतिष में हम 2, 6, 10 से देखते है 2 :– धन, भोजन, दृष्टि 6 :– नौकरी, प्रतिस्पर्धा 10 :– कर्म  ...

केन्द्राधिपति दोष

केंद्रधिपति दोष :– सौम्य ग्रह अगर केंद्र के स्वामी हुए तो अपनी शुभता छोड़ देते है ( अशुभ फल दे जरूरी नहीं) , क्रूर ग्रह केंद्र के स्वामी होने पर अपनी अशुभता छोड़ देते है।  सौम्य ग्रह :– गुरु, शुक्र, शुक्ल पक्ष का चंद्र और सौम्य ग्रह के साथ स्थित बुध क्रूर ग्रह :– सूर्य, मंगल , शनि , कृष्ण पक्ष का चंद्र और क्रूर ग्रह के साथ स्थित बुध जब सौम्य ग्रह अपनी शुभता न दे तो वह दोष का निर्माण करता है,  केवल गुरु और बुध ऐसे ग्रह है जो एक ही समय में दो केंद्र भावो के स्वामी होगे इसलिए इन्हे केन्द्राधिपति दोष लगता है, ( मिथुन, कन्या, धनु, मीन लग्न में) नोट :– बुध अगर क्रूर ग्रह के साथ हुआ तब मेरे विचार में केन्द्राधिपति दोष में नहीं आएगा क्योंकि तब वह क्रूर होगा।

दशमांश निकालने की विधि

हे दोस्तो आज हम दशमांश निकालने की विधि जानेंगे और आप पढ़ रहे है  दीपज्योतिष   ब्लॉग, और मैं हूं दीपज्योतिष एक ब्लॉगर ,     दशमंश निकालने की विधि :-  विषम राशि के लिए :– वही राशि रिफ्रेंस राशि  होगी सम राशि के लिए :– उस राशि से नवम राशि रिफ्रेंस राशि  होगी एक राशि के दश भाग कीजिए तो एक भाग ३° का है जिस ग्रह की डिग्री देखनी है वो देखिए किस भाग में है , रिफ्रेंस राशि से उस भाग तक की गिनती कर लीजिए वही दशमांश होगा उदाहरण :–  इस चार्ट में लग्न मकर राशि में 6° 54’ का है चुकी सम राशि है इसलिए इसका रिफ्रेंस राशि होगी मकर से नवम राशि यानी कन्या राशि।     6° 54’ को हर 3° का एक भाग बनाने पर 6° के दो भाग होगे और 54’ तीसरे भाग में आएगा जिसे रिफ्रेंस राशि यानी कन्या राशि से तीसरी राशि वृश्चिक राशि होगी यही लग्न का दशमांश है।      एक उदाहरण और देखते है चंद्र धनु राशि में है जो कि विषम राशि है इसलिए इसकी रिफ्रेंस राशि यही यानी धनु राशि होगी, चंद्र इस राशि में 24°40’ है तो 3 से भाग देने पर 8 भाग 24° तक होगे और 40’ नौवे भाग में आए...